इतिहास शब्द से आप अच्छी तरह परिचित होंगे जैसा की आप सभी जानते होंगे की इतिहास से अच्छा उस्ताद(शिक्षक) कोई दूसरा हो नहीं सकता। इतिहास दुनिया भर की चीजों के राज को छिपाए बैठा हुआ है यदि जो कोई भी इसकी और झांकता है उसे हर चीज मालूम हो सकती है। श्री अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म 25 दिसंबर को और भी महान और अतिउत्साह वाला दिन बना देता है। इस दिन एक महान नेता अटल का धरती पर आगमन हुआ था।
अटल बिहारी वाजपेई कौन थे?
अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में तीन कार्यकालों की सेवा की, इनका कार्यकालों की सेवा इस प्रकार है पहली बार सन 1996 में 13 दिनों के समय के लिए, फिर सन 1998 से 13 महीने के समय के लिए किया। उसके बाद सन 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल तक सेवा किए। वाजपेयी जी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सह-संस्थापक और वरिष्ठ नेता के रूप में जाने जाते है। वह एक हिंदू राष्ट्रवादी वाउलेंटियर संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। वह पहले भारतीय प्रधान मंत्री थे,जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नहीं थे जिन्होंने कार्यालय में पूर्ण कार्यकाल पूरा किया। उन्हें एक कवि और लेखक के रूप में भी जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर सन 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी माता और पिता कृष्णा देवी और कृष्णा बिहारी वाजपेयी थे। उनके पिता उनके गृह नगर में एक स्कूल शिक्षक थे।
वाजपेयी जो ने अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर में की। सन 1934 में उन्हें उज्जैन जिले के बरनगर में एंग्लो-वर्नाक्युलर मिडिल (AVM) स्कूल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में BA करने के लिए ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज जिसे अब महारानी लक्ष्मी बाई गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के नाम से जाना जाता है उसमे दाखिला लिया। उन्होंने DAV कॉलेज, कानपुर से राजनीति विज्ञान में MA के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
वह सन् 1939 में एक स्वयंसेवक, या स्वयंसेवक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में भी शामिल हुए।
प्रारंभिक राजनीतिक करियर (1947-1975)
सन् 1951 में वाजपेयी को दीनदयाल उपाध्याय के साथ,RSS से जुड़े एक हिंदू दक्षिणपंथी राजनीतिक दल, नवगठित भारतीय जन संघ के लिए काम करने के लिए समर्थन दिया गया था। उन्हें दिल्ली में स्थित उत्तरी क्षेत्र के पार्टी प्रभारी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह जल्द ही पार्टी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अनुयायी और सहयोगी बन गए। सन 1957 के भारतीय आम चुनाव में वाजपेयी ने भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा। लोकसभा में उनके भाषण कौशल ने प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को इतना प्रभावित किया कि नेहरू जी ने अटल जी को कहा की कि वाजपेयी किसी दिन भारत के प्रधान मंत्री बनेंगे।
दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद जनसंघ का नेतृत्व वाजपेयी को सौंप दिया गया। वह सन 1968 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, नानाजी देशमुख, बलराज मधोक और लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर पार्टी चला रहे थे।
यह अटल बिहारी वाजपेयी के चुनावी इतिहास का सारांश है, जो सन 1996 में और फिर सन 1998 से 2004 तक भारत के प्रधान मंत्री थे और सन 1989 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के नेता थे। वे अलग अलग निर्वाचन क्षेत्रों से 10 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे।
उन्होंने पहली बार भारतीय जन संघ से लखनऊ केंद्रीय संसदीय क्षेत्र में सन 1955 का उपचुनाव लड़ा, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के श्योराजवती नेहरू से हार गए।
अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1957 में बलरामपुर संसदीय क्षेत्र का निरूपण करते हुए पहली बार संसद में प्रवेश किया। सन 1957 में, वाजपेयी ने तीन लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा लखनऊ(Lucknow), बलरामपुर(Balrampur) और मथुरा(Mathura)। हालांकि वह मथुरा और लखनऊ से हार गए लेकिन बलरामपुर से चुने गए।
अटल बिहारी वाजपेई का व्यक्तिगत जीवन
वाजपेयी जीवन भर अविवाहित रहे। उन्होंने नमिता भट्टाचार्य को अपने बच्चे के रूप में गोद लिया।
वे हिन्दी में लिखने वाले एक प्रख्यात कवि थे। उनकी प्रकाशित रचनाओं में कैदी कविराज की कुंडलियां शामिल हैं, जो सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान कैद होने पर लिखी गई कविताओं का संग्रह और अमर आग है।
अटल बिहारी वाजपेई जी सम्मान और पुरुष्कारो से नवाजा गया
- सन 1992 में पद्म विभूषण
- सन 1993 में (डी. लिट.) की उपाधि कानपुर विश्वविद्यालय से
- सन 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- सन 1994 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार
- सन 1994 में भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
- सन 2015 में भारत रत्न से सम्मानित
- सन 2015 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम सम्मान
वाजपेई द्वारा लिखी गई रचनाएं
वाजपेयी ने गद्य और कविता दोनों की कई रचनाएँ लिखीं। उनके कुछ प्रमुख प्रकाशन नीचे सूचीबद्ध हैं। इनके अलावा, उनके भाषणों, लेखों और नारों से विभिन्न संग्रह बनाए गए थे।
- राष्ट्रीय एकता (1961)
- गठबंधन की राजनीति
- कुछ लेख, कुछ भाषा (1996)
- बिंदु-बिंदु विकार (1997)
- निर्णायक दिन (1999)
- संकल्प-काल (1999)
नरेंद्र मोदी के प्रशासन ने सन 2014 में घोषणा की कि वाजपेयी जी के जन्मदिन(25 दिसंबर) को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। दुनिया की सबसे लंबी सुरंग लेह-मनाली जो की राजमार्ग रोहतांग, हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया था। मंडोवी नदी पर भारत में तीसरा सबसे लंबा केबल-स्टे ब्रिज, अटल सेतु का नाम उनकी याद में रखा गया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने नया रायपुर का नाम बदलकर अटल नगर कर दिया है।
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